NBT स्टिंग का असर, एक्शन मोड में फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट, कई जगहों से लिए गोलगप्पे के पानी के सैंपल


नई दिल्लीः गोलगप्पे के पानी में नमक का तेजाब! एनबीटी के स्टिंग के बाद मिलावटखोरों में खलबली मच गई है। स्थिति यह है कि गोलगप्पे खाने से पहले लोग अब उनसे सवाल करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी लोग काफी तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इसके अलावा फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने भी सख्ती शुरू कर दी है। अधिकारियों के मुताबिक शहर के अलग-अलग हिस्सों से गोलगप्पे के पानी का सैंपल उठाना शुरू कर दिया है। साथ ही वेंडर असोसिएशन ने भी मिलावट के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है।

एक्शन मोड में आया फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट

जानकारी के मुताबिक, एनबीटी स्टिंग के बाद फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने सभी जिलों में गोलगप्पे के पानी का सैंपल लेने के लिए अलग-अलग टीमें तैनात कीं। मंगलवार से शहर के अलग-अलग मार्केट से गोलगप्पे के पानी के सैंपल उठाने शुरू कर दिए हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, पानी का सैंपल लेने के साथ ही उनका रजिस्ट्रेशन करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि, सैंपल के डर से कई वेंडर रजिस्ट्रेशन कराने से कतराते हैं। खाने-पीने का सामान बेचने वालों का रजिस्ट्रेशन फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट से कराना जरूरी है।

एनबीटी के स्टिंग के बाद वेंडर कमिटी के मेंबर ने भी मिलावट के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। हॉकर्स जॉइंट एक्शन कमिटी की राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी सुषमा शर्मा ने बताया कि दिल्ली के कई मार्केट मे सभी फूड वेंडर्स को खासतौर से गोल गप्पे बेचने वालों को FSSAI से रजिस्ट्रेशन, मिलावट, सफाई और उन सभी को ट्रेनिंग के विषय मे भी जागरूक करना शुरू कर दिया गया है। सभी वेंडर्स ट्रेनिंग के माध्यम से समझ सकें साफ-सफाई और मिलावटी सामान नहीं हो। गुरुवार को उत्तम नगर, करोल बाग, डिफेंस कॉलोनी में गोलगप्पे से लेकर अन्य खाने की सामान बेचने वाले को रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही सफाई और बिना मिलावटी सामान बेचने के लिए प्रेरित किया गया है। सुषमा का कहना है कि शहर में गोलगप्पे बेचने वाले ज्यादातर लोगों के पास रजिस्ट्रेशन नहीं है। इसके लिए उन्हें जागरूक किया जा रहा है।

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क्या हैं रजिस्ट्रेशन के नियम

नियमों के तहत खाने-पीने की चीजें बेचने वाले ऐसे विक्रेताओं जिनका सालाना कारोबार 12 लाख से कम है उन्हें फूड सेफ्टी विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन अधिकतम पांच साल के लिए होता है। इसकी सालाना फीस 100 रुपये के करीब है। रजिस्ट्रेशन के लिए विक्रेता को एक फॉर्म के साथ आधार कार्ड की कॉपी और अपनी फोटो विभाग में सब्मिट करवानी होती है। लेकिन विक्रेता यह नहीं करवाते। 12 लाख से अधिक का कारोबार करने वाले विक्रेताओं को लाइसेंस लेना होता है। अधिकारी के अनुसार रजिस्ट्रेशन का लाभ यह होता है कि विक्रेता का पता ठिकाना विभाग के पास रहता है और वह सैंपल ले सकता है। रजिस्ट्रेशन न होने की वजह से लोग शिकायत तो करते हैं लेकिन उनका पूरा पता नहीं बता पाते और आगे की कार्रवाई नहीं हो पाती। वहीं वेंडर्स में जागरूकता की भी कमी है। ऐसे विक्रेताओं को लगता है कि एमसीडी की परमिशन लेना ही काफी है, जबकि उसका फूड सेफ्टी से कुछ लेना-देना नहीं होता।


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