#NewsBytesExplainer: जानिए भारत के पहले सिनेमाघर की कहानी, किसने रखी नींव और कैसे बदला स्वरूप?


#NewsBytesExplainer: जानिए भारत के पहले सिनेमाघर की कहानी, किसने रखी नींव और कैसे बदला स्वरूप?



मनोरंजन
1 मिनट में पढ़ें

Nov 27, 2023

09:13 am

भारत का पहला सिनेमाघर कब बना? जानिए पूरी कहानी

आज भले ही कुछ लोग सिनेमाघरों के बजाय OTT पर फिल्में देखना पसंद कर रहे हों, लेकिन कोई शक नहीं कि सिनेमाघर में फिल्म देखने का अपना एक अलग ही मजा है।

फिल्म इंडस्ट्री का नाम आते ही सबसे पहले मायानगरी का विचार आता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश का पहला सिनेमाघर मुंबई में नहीं है।

आइए जानते हैं भारत का पहला सिनेमाघर किसने खोला और कैसे समय के साथ-साथ इसकी दशा बदलती गई।

1907 में खोला गया था देश का पहला सिनेमाघर चैपलिन सिनेमा

भारत के पहले सिनेमाघर ने भारतीय सिनेमा का हर दौर देखा था। आजादी से पहले और आजादी के बाद के सिनेमा को जीने वाले उस सिनेमाघर का नाम है चैपलिन सिनेमा, जिसे शुरुआत में एलफिंस्टन पिक्चर पैलेस के नाम से जाना जाता था।

1907 में इस सिनेमाघर की स्थापना हुई थी। जमशेदजी रामजी मदन ने कोलकाता के चौरंगी प्लेस में इसका निर्माण किया था।

हालांकि, बाद में इसका नाम बदलकर ‘मिनर्वा सिनेमा’ कर दिया गया।

सिनेमाघर में ज्यादातर दिखाई जाती थीं हॉलीवुड फिल्में 

तब इस सिनेमाघर में बंगाली सिनेमा के महानायक उत्तम कुमार के पिता प्रोजेक्टर चलाया करते थे और दर्शकों के लिए हॉल में हॉलीवुड फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाती थी।

इसके अलावा भारत में तब मूक फिल्माें का दौर था। ऐसे में इस सिनेमाघर में कई मूक फिल्में भी दिखाई जाती थीं।

यह सिनेमाघर उस दौर में मशहूर था। 1913 में भारत की पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ की शुरुआत ने कोलकाता के इस सिनेमाघर को और मशहूर कर दिया था।

धीरे-धीरे कम होती गई लोकप्रियता

आजादी के बाद इस सिनेमाघर में हिंदी के अलावा ‘पथेर पंचाली’ से लेकर अपराजितो तक कई बंगाली फिल्में भी दिखाई जाने लगीं। यह ‘2 आंखे 12 हाथ’, ‘मुगल-ए-आजम’, ‘दो बीघा जमीन’ और ‘मदर इंडिया’ जैसी कालजयी हिंदी फिल्मों का गवाह रहा।

पुराना होने के चलते और नए सिनेमाघरों के आने से भी ‘मिनर्वा सिनेमा’ लोगों की पसंदीदा सूची से बाहर होता गया। राजनीतिक अशांति और उठा-पटक के कारण भी इस सिनेमाघर को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।

1980 के दशक में मिला नया नाम, 2013 में हुआ ध्वस्त

1980 के दशक में कलकत्ता नगर निगम ने सिनेमाघर का पुननिर्माण कर इसका नाम महान चार्ली चैपलिन के नाम पर चैपलिन सिनेमा रखा, लेकिन भारत में मल्टीप्लेक्स की शुरुआत के साथ ही चैपलिन सिनेमा का बुरा दौर शुरू हो गया।

भारत में ‘मल्टीप्लेक्स’ ने ‘सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों’ के दिन बद से बदतर बना दिए। चैपलिन सिनेमा भी इससे प्रभावित हुआ। इस सिनेमाघर के मालिकों को तगड़ा नुकसान हुआ।

चैपलिन सिनेमा को 2013 में कोलकाता नगर निगम ने ध्वस्त कर दिया।

देश के सबसे पुराने सिनेमाघर

दिल्ली के लोकप्रिय सिंगल स्क्रीन डिलाइट सिनेमा को 1954 में बनाया गया था, वहीं दिल्ली के सबसे पुराने और मशूहर रीगल सिनेमा की स्थापना 1932 में हुई थी।

कोलकाता का प्रिया सिनेमा भी लोकप्रिय सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर है, जो 1959 में बना। इस फेहरिस्त में जयपुर का सम्राट सिनेमा, मुंबई का कैपिटल सिनेमा और रॉयल थिएटर भी शामिल है।

भारतीय सिनेमा को मुकम्मल बनाने में इनका अहम योगदान रहा या कहें भारतीय सिनेमा का इतिहास इन्हीं से जुड़कर बना है।

बदलता गया सिनेमा का स्वरूप

भारत में शुरुआत में काफी समय तक मूक फिल्में बनीं। इसके बाद धीरे-धीरे बोलती फिल्मों का दौर आया और फिर शुरु हुआ बदलते सिनेमा और सिनेमाघरों के स्वरूप का दौर।

पहले फिल्में नाटक के रूप में दिखाई जाती थीं। फिर उन्हें पर्दे पर उतारा जाने लगा।

धीरे-धीरे तब्दीलियां आईं और सिनेमाघरों में लोगों की क्षमता बढ़ाकर निर्माताओं ने ये साबित भी कर दिया।

सिनेमाघर बड़ी क्षमता वाले बनने लगे। फिर सिनेमाघर से PVR और INOX ने जगह ले ली।

दुनिया का पहला सिनेमाघर

दुनिया का पहला सिनेमाघर हॉलैंड ब्रदर्स नाम के भाइयों ने न्यूयॉर्क में 14 अप्रैल, 1894 में खोला था। इसमें फिल्म देखने के लिए फिल्म दिखाने वाली 10 मशीनें लगी हुई थीं। हर मशीन पर एक समय में एक ही व्यक्ति फिल्म देख सकता था।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *