
पानीपत। किसानों को बरसत रोड का कब्जा दिलाने पहुंचे पीडब्ल्यूडी के एसडीओ और जमीन की पैमाइश करने पहुंचे राजस्व विभाग के कानूनगो, पटवारी का मंगलवार को भी रटारटाया जवाब रहा। वे रिकॉर्ड न होने की बात कह कर लौट गए। ऐसे में मंगलवार को दूसरे दिन भी किसानों को उनकी जमीन का कब्जा नहीं मिल पाया। किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर डीसी की कार, पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस और अधिकारियों की तनख्वाह तक को अटैच करने की मांग की है, जिसकी सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
पीडब्ल्यूडी के एसडीओ प्रवीण छिक्कारा मंगलवार को राजस्व विभाग के कानूनगो विजेंद्र कादियान और पटवारी सुभाष के साथ बरसत रोड पर दोपहर करीब पौने एक बजे पहुंचे। एडवाकेट सुरभि शर्मा, संजय गुप्ता, जिला पार्षद जोगिंद्र स्वामी ने अधिकारियों को पैमाइश के लिए फीता देना चाहा, लेकिन अधिकारियों ने फीता तक पकड़ने से इंकार कर दिया। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने उक्त जमीन का रिकॉर्ड न होने का जवाब देकर पैमाइश न हो पाने की बात कही।
किसानों ने पूछा कि अगर उनके पास रिकॉर्ड नहीं है तो वे मौके पर क्या करने आए? पीडब्ल्यूडी के एसडीओ प्रवीण छिक्कारा ने कहा कि वे कोर्ट और प्रशासन के आदेश पर कब्जा देने आए हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जवाब दिया कि वे पीडब्ल्यूडी के नोटिस के आधार पर पहुंचे हैं। करीब आधे घंटे तक अधिकारियों का यही सवाल जवाब चलता रहा। किसानों ने उन्हें अपनी पुरानी निशानदेही की रिपोर्ट भी दिखाई, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि ये तो एक साल पहले खारिज हो चुकी है। इसके बाद दोनों विभागों के अधिकारी बैरंग लौट गए।
किसानों ने कहा कि राजस्व विभाग का तर्क है कि उनका रिकॉर्ड 1979 में जल गया था। इसके बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों ने 1988 में उक्त जमीन की निशानदेही तक कर दी। जिसे अब राजस्व विभाग ने 34 साल बाद 2022 में खारिज किया है। किसानों ने कहा कि अगर राजस्व विभाग के अधिकारियों के पास जमीन का रिकॉर्ड नहीं है तो वे सेक्टर कैसे विकसित कर दिए गए। इनके इंतकाल कैसे मंजूर हो रहे हैं। बरसत रोड की जमीनों पर लोग रजिस्ट्री और इंतकाल कैसे दर्ज करा रहे हैं? किसानों का आरोप है कि अधिकारी मिलीभगत से सैकड़ों गलत रजिस्टि्रयां और इंतकाल दर्ज करा चुके हैं।
जीटी रोड कट से लेकर नूरवाला चुंगी तक करीब किसानों की 11.52 एकड़ जमीन पर पीडब्ल्यूडी ने बरसत रोड बनाया था। यह जमीन चार किसानों की है। यह एरिया पत्ती तरफ इंसार का है, जबकि इससे आगे का एरिया पत्ती तरफ मखदूम में आता है। इन किसानों ने अपनी जमीन के मुआवजे को लेकर कोर्ट में केस तक किए थे। पहला केस 1989 में किया गया था, जिस पर 1995 में कोर्ट ने किसानों के हक में फैसला दिया था। इसके बाद एक के बाद एक तीन केस और किए गए, जिनमें उक्त किसानों की जीत हुई।
पीडब्ल्यूडी के एसडीओ प्रवीण छिक्कारा ने कहा कि राजस्व विभाग मौके पर जमीन की निशानदेही नहीं करा पाया, इसलिए कब्जा नहीं दिया जा सका। कानूनगो विजेंद्र कादियान ने कहा कि उनके पास इस जमीन का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रिकॉर्ड 1979 में जल गया था। बिना रिकॉर्ड के निशानदेही नहीं करवाई जा सकती।