Paperex-2023: प्लास्टिक को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है कागज, पेपर रिसाइकल को पाठ्यक्रम में  किया जाए शामिल


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खाद्य सामग्री की रैपिंग, पैकेजिंग से लेकर, कटलरी, पठन सामग्री समेत कागज के उत्पादों ने प्लास्टिक को जबरदस्त टक्कर दी है। आने वाले समय में कागज के उत्पाद पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे पॉलिथीन के उत्पादों को पीछे छोड़ देंगे। यह बात इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहे कागज उत्पादों के शो पेपरेक्स-2023 में इस उद्योग जगत के संगठनों के पदाधिकारियों ने कही। यह कहा गया कि अभी कागज और प्लास्टिक साथ-साथ चल रहे हैं, लेकिन भविष्य में कागज आगे निकल जाएगा।

इंडियन पल्प एंड पेपर टेक्नीकल एसोसिएशन (आईपीपीटीए) के महासचिव एमके गोयल ने कहा कि ऑनलाइन फूड डिलवरी पोर्टल से जितना भी सामान मंगाते हैं, वह सब कागज की पैकिंग में आ रहे हैं। स्ट्रा, ग्लास, पल्प की प्लेट, कटलरी बन रही हैं। फूड रैपिंग उपलब्ध है। उत्पाद की इस रेंज में प्लास्टिक को खत्म कर दिया है।

फूड ग्रेड में पॉलिथीन को खत्म कर देंगे: एसएम त्यागी

फेडेरेशन ऑफ पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष एसएम त्यागी ने कहा कि फूड ग्रेड में लाइट ग्रामिक पेपर को फूड की खासियत को ध्यान में रखते हुए उत्पाद तैयार कर रहे हैं। रैपिंग में और पैकेजिंग में कागज को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में मजबूती से लेकर आए हैं। आने वाले समय में तकनीक के प्रयोग के साथ फूड ग्रेड में हम पॉलिथीन को 100 फीसदी खत्म देंगे।

कागज रिसाइकल को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए

पेपरेक्स-2023 में आए इंडियन रिकवर्ड पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश सिंघल ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में देशवासियों से इस्तेमाल किए कागज को फेंकने की जगह उसे रिसाइकल के लिए देने की अपील कर दें तो बड़ा बदलाव हो सकता है। हम 75 फीसदी मांग को इसी से पूरा करते हैं। इसके साथ ही कागज रिसाइकल को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, जिससे वह पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनें।

कागज की वजह से जंगल को कोई खतरा नहीं

भारत के कागज उद्योग की वजह से जंगल को कोई खतरा नहीं है। आईपीपीटीए के महासचिव एमके गोयल कहते हैं कि भारत में 26 मिलियन टन कागज बन रहा है। इसका 75 प्रतिशत कागज वह है जो फेंक देते हैं या रद्दी वाले को देते हैं। बाकी का 15 प्रतिशत सोशल फारेस्ट्री से मिलता है। उद्योग जगत किसानों को खेतों की मेड़ों पर लगाने के लिए यूकेलिप्टस के छोटे पौधे देता है। एक पेड़ लेने के बदले पांच पेड़ देता है। इससे जंगल को कोई खतरा नहीं है। खेती के बाद बेकार पड़े अवशेष से भी कागज बन रहा है।

छपी सामग्री का अध्ययन स्मरण में रहना आसान

आयोजन में इस बात पर चर्चा हुई कि एक शोध से साबित हुआ है कि कागज पर प्रकाशित सामग्री के अध्ययन से उसके स्मरण में बने रहने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चे विषय को अच्छे से समझ पाते हैं। आपका जन्म प्रमाण पत्र, डिग्री, पदोन्नति प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, अन्य दस्तावेज पहले यह कागज पर ही होते हैं। बाद में डिजिटल पर आते हैं।

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खाद्य सामग्री की रैपिंग, पैकेजिंग से लेकर, कटलरी, पठन सामग्री समेत कागज के उत्पादों ने प्लास्टिक को जबरदस्त टक्कर दी है। आने वाले समय में कागज के उत्पाद पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे पॉलिथीन के उत्पादों को पीछे छोड़ देंगे। यह बात इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहे कागज उत्पादों के शो पेपरेक्स-2023 में इस उद्योग जगत के संगठनों के पदाधिकारियों ने कही। यह कहा गया कि अभी कागज और प्लास्टिक साथ-साथ चल रहे हैं, लेकिन भविष्य में कागज आगे निकल जाएगा।

 


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