अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। इस साल घरेलू क्रिकेट में दिल्ली की टीम का हाल बेहाल रहा। खिलाड़ियों के चयन में घोटाले के आरापों के बीच दिल्ली की कोई भी पुरुष टीम नॉकआउट का मुंह तक नहीं देख पाई। चयनसमिति ही नहीं, मोटी फीस पर बंगाल से लाए गए मुख्य कोच देवांग गांधी का रिपोर्ट कार्ड बेहद खराब रहा। हर व्यक्ति सिर्फ अपनी पसंद के खिलाड़ियों को टीम में घुसाने और उसको खिलाने में जुटा रहा।
कहते हैं एक मछली तालाब को गंदा कर देती है लेकिन दिल्ली क्रिकेट का तो तालाब ही पूरी तरह से गंदा दिखा। रणजी ट्राफी में अपना आखिरी मैच जीतकर दिल्ली की सीनियर टीम ने कुछ राहत दी तो दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ यानी डीडीसीए की एपेक्स कमेटी समेत कुछ लोग ऐसे उछल पड़े जैसे टीम ने खिताब अपने नाम कर लिया हो।
दिल्ली ने रणजी में सात मैच खेले जिसमें 27 खिलाड़ियों को खिलाया गया। कई खिलाड़ी सिर्फ टीम के साथ घूमे, उन्हें मौका नहीं मिल पाया। ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों में टीम को घुसाकर राजनीतिक सौदेबाजी की गई जिससे कभी भारत में सर्वोच्च रहा दिल्ली का क्रिकेट रसातल में पहुंच गया।
कोच देवांग गांधी अपने मनपसंद पत्रकारों को सिर्फ ये बताते रहे कि फलाना लड़का खराब है, फलाने को ड्राप करना चाहिए लेकिन मैं कुछ कर नहीं पा रहा। रणजी ट्रॉफी के सात मैच खेलते हुए दिल्ली की टीम ने तीन जीते, दो हारे। पुंडूचेरी जैसी कमजोर टीम से भी दिल्ली को शर्मनाक हार मिली।
यह भी पढ़ें: IPL 2024 में वॉर्नर से छीनी जाएगी Delhi Capitals की कप्तानी! Rishabh Pant संभालेंगे कमान, लेकिन बदल जाएगी भूमिका
एक मैच खराब मौसम के कारण नहीं हो सका। एक में बड़ौदा ने पहली पारी के आधार पर बढ़त लेकर अंक लिए। टी-20 प्रारूप में होने वाली सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी जहां उसे पंजाब ने हराया था। वनडे प्रारूप में होने वाली विजय हजारे ट्रॉफी के सात में से चार मैच हारकर टीम नाकआउट में नहीं पहुंच पाई।
अंडर-23 में सीके नायुडू ट्रॉफी में टीम सिर्फ एक मैच जीती और तीन में पहली पारी के आधार पर बढ़त ली। अंडर-23 एक दिवसीय स्टेट ए ट्राफी में राज्य की टीम तीन जीती, तीन हारी और एक मैच रद हुआ। इसमें भी टीम नाकआउट तक नहीं पहुंची। वनडे प्रारूप में होने वाली अंडर-19 वीनू मांकड़ ट्राफी में टीम प्री क्वार्टर फाइनल तक में नहीं पहुंची।
अंडर-19 के लिए चार दिवसीय मैचों की कूच बिहार ट्रॉफी में भी टीम का यही हाल रहा। अंडर-16 के लिए होने वाली विजय मर्चेंट ट्राफी में टीम क्वार्टर फाइनल तक जरूर पहुंची। रणजी में सिर्फ तीन खिलाड़ी सभी सात मैच खेले जिसमें शुरुआती कप्तान यश ढुल, उनकी जगह बाद में कप्तान बने हिम्मत सिंह और अच्छा प्रदर्शन करने वाले तेज गेंदबाज हिमांशु चौहान शामिल हैं। 10 क्रिकेटर सिर्फ एक-एक मैच खेले। इसका मतलब है कि इन्हें सिर्फ किसी को खुश करने के लिए रणजी मैच खिलाया गया।