Rohit Sharma, IPL Player Trades Rules: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2024 सीजन का आगाज 22 मार्च से होने जा रहा है. मगर इस बार आईपीएल सीजन शुरू होने से पहले कई बड़े और चौंकाने वाले फैसले देखने को मिले हैं. इस बार आईपीएल में ट्रांसफर विंडो के तहत इतिहास की सबसे बड़ी ट्रेड भी देखने को मिली है.
गुजरात टाइटन्स (GT) के कप्तान हार्दिक पंड्या को उनकी पुरानी टीम मुंबई इंडियंस (MI) ने ट्रेड किया. साथ ही रोहित शर्मा की जगह कप्तान भी बना दिया है. इससे रोहित के फैन्स काफी नाराज नजर आए हैं. रोहित ने अपनी कप्तानी में मुंबई इंडियंस को पांच बार आईपीएल खिताब जिताए हैं.
रोहित को चेन्नई का कप्तान देखना चाहते हैं रायडू
इसी बीच भारतीय टीम और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के पूर्व क्रिकेटर अंबति रायडू ने बड़ा बयान दिया है. उनका मानना है कि रोहित आराम से 5-6 साल और IPL खेल सकते हैं. साथ ही धोनी के रिटायरमेंट लेने के बाद वो सीएसके की कप्तानी भी कर सकते हैं. आईपीएल 2025 से पहले मेगा ऑक्शन होना है, ऐसे में रायडू की बातों में थोड़ा दम लग रहा है.
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मगर मौजूदा सीजन में रोहित का अपनी टीम बदलना अब नामुमकिन है. इसका बड़ा कारण है कि अब आईपीएल ट्रांसफर विंडो बंद हो गई है. यानी अब किसी भी प्लेयर का ट्रेड नहीं हो सकता है. इसी बीच फैन्स के मन में यह सवाल जरूर होंगे कि आखिर यह ट्रांसफर या ट्रेड विंडो क्या है और इसके नियम क्या हैं? क्या इससे खिलाड़ियों को भी फायदा होता है? आइए जानते हैं इन्हीं सब सवालों के जवाब…
खिलाड़ी का ट्रेड क्या है और यह कैसे होता है?
जब ट्रांसफर विंडो के तहत एक प्लेयर अपनी टीम को छोड़कर दूसरी फ्रेंचाइजी में चला जाता है, तो उसे ट्रेड कहते हैं. यह ट्रेड दो तरह से होती है. पहली डील कैश में यानी प्लेयर के बदले बेचने वाली फ्रेंचाइजी को पैसे मिलते हैं. दूसरा दो फ्रेंचाइजी अपने-अपने प्लेयर्स की अदला-बदली करती हैं.
ट्रांसफर या ट्रेड विंडो कब से कब तक खुली होती है?
नियम के मुताबिक, किसी IPL सीजन के खत्म होने के एक महीने बाद से ही यह ट्रांसफर या ट्रेड विंडो ओपन हो जाती है. यह अगले सीजन की नीलामी से एक हफ्ते पहले तक खुली रहती है. साथ ही नीलामी के बाद फिर यह विंडो खुलती है, जो अगले आईपीएल सीजन के शुरू होने से एक महीने पहले बंद हो जाती है.
ऐसे में मौजूदा ट्रेड विंडो पिछले साल 12 दिसंबर तक खुली रही थी. जबकि नीलामी 19 दिसंबर को दुबई में हुई थी. यह विंडो 20 दिसंबर से फिर खुली, जो IPL 2024 सीजन शुरू होने से एक महीने पहले बंद हो गई है. यानी अभी यह ट्रांसफर विंडो बंद ही है.
क्या IPL में खिलाड़ियों की ट्रेड हमेशा रही है?
हां, यह ट्रेडिंग विंडो 2009 में शुरू हुई थी. तब पहली डील मुंबई इंडियंस और दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) के बीच हुई थी. मुंबई को आशीष नेहरा के बदले में शिखर धवन मिले थे.
एक तरफा ट्रेड क्या है?
जब कोई एक प्लेयर किसी पूरी तरह से कैश डील के तहत टीम ए से दूसरी बी टीम में जाता है, तो इसे एकतरफा ट्रेड कहते हैं. इसमें टीम बी को उसके बदले टीम ए को प्लेयर की कीमत देनी होगी, जो बेचने वाली टीम ने नीलामी के दौरान उस प्लेयर को खरीदने में चुकाई थी. या फिर साइन करने के दौरान चुकाई थी. हार्दिक पंड्या के मामले में इस बार ऐसा ही हुआ है. मुंबई इंडियंस ने गुजरात टाइटन्स को पंड्या के बराबर की फीस चुकाई है.
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दोतरफा ट्रेड क्या है?
इस वाले मामले में दो टीमों के बीच खिलाड़ियों की अदला-बदली होती है. मगर इस दौरान दोनों खिलाड़ियों के बीच कीमत में अंतर वाली राशि को खरीदने वाली टीम को चुकाना पड़ता है. इसे दोतरफा ट्रेड कहते हैं.
क्या कोई प्लेयर इस ट्रेड में कोई अधिकार रखता है?
बिल्कुल, जब भी किसी प्लेयर की ट्रेड होती है, तो उस खिलाड़ी की मंजूरी बेहद जरूरी होती है. गुजरात टाइटन्स के क्रिकेट निदेशक विक्रम सोलंकी ने बताया कि हार्दिक ने खुद ही मुंबई टीम में वापसी की इच्छा व्यक्त की थी और अब 15 करोड़ रूपये में यह ट्रेड हुआ है. दूसरी ओर ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक, मुंबई ने हार्दिक को ट्रेड करने के लिए आईपीएल 2023 के तुरंत बाद से ही गुजरात से बातचीत शुरू कर दी थी. MI फ्रेंचाइजी यह भी जानना चाहती थी कि क्या गुजरात नकद ट्रेड करेगा या दोतरफा.
यदि कोई प्लेयर ट्रेड विंडो के तहत किसी दूसरी टीम में जाना चाहता हो और उसकी फ्रेंचाइजी इससे सहमत ना हो तो यह डील नहीं हो सकती. यानी कि नियम के मुताबिक, ट्रेड के लिए फ्रेंचाइजी की मंजूरी बेहद जरूरी है.
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2010 में रवींद्र जडेजा ने अपनी टीम राजस्थान रॉयल्स के साथ नए कॉन्ट्रैक्ट पर साइन नहीं किए थे. तब उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने मुंबई से नए अनुबंध के लिए बात की है. तब जडेजा पर नियम के उल्लंघन के मामले में एक सीजन का प्रतिबंध लगा था.
क्या ट्रांसफर फीस भी होती है? इसकी लिमिट क्या है और इसे कौन डिसाइड करता है?
ट्रेड के दौरान एक फ्रेंचाइजी दूसरी टीम को प्लेयर की फीस के अलावा कोई रकम देती है, तो उसे ट्रांसफर फीस कहते हैं. यह फीस दोनों फ्रेंचाइजी के बीच आपसी समझौते के आधार पर तय होती है और इसकी कोई लिमिट नहीं है. इस फीस के बारे में दोनों टीमों के अलावा IPL गवर्निंग काउंसिल को भी जानकारी होती है. हार्दिक पंड्या के मामले में मुंबई ने गुजरात को कितनी ट्रांसफर फीस दी, इसका खुलासा नहीं हुआ है.
क्या ट्रांसफर फीस में प्लेयर को भी हिस्सा मिलता है?
हां, कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से प्लेयर को ट्रांसफर फीस में कम से कम 50% तक हिस्सा मिल सकता है. हालांकि इस मामले में भी खिलाड़ी और उसकी फ्रेंचाइजी के बीच आपसी सहमति के हिसाब से यह हिस्सा कम भी हो सकता है. ये भी जरूरी नहीं है कि प्लेयर को हिस्सा मिले ही. मुंबई और गुजरात के बीच डील में पंड्या को क्या फायदा हुआ या क्या ट्रांसफर फीस मिली है, इसका खुलासा भी नहीं हुआ है.