Samvad 2023: रैना बोले- ट्रॉफी जीतनी है तो युवाओं को मौका दो, पठान ने कहा- टीम में अच्छा मिश्रण हो


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जम्मू-कश्मीर में अमर उजाला संवाद 2023 जारी है। कार्यक्रम में उद्योग, खेल, आध्यात्मिक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ीं हस्तियां जुड़ेंगी और जम्मू-कश्मीर के विकास की संभावनाओं पर मंथन करेंगी। भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर्स सुरेश रैना और इरफान पठान भी कार्यक्रम में पहुंचे हैं और खेल से जुड़ी यादों को साझा किया। इस दौरान दोनों ने आईपीएल, भारतीय टीम के प्रदर्शन और ट्रॉफी नहीं जीत पाने की वजह के बारे में बातचीत की। साथ ही एक-दूसरे के बारे में कुछ मजेदार बातों का भी खुलासा किया। आइए जानते हैं…

सवाल: आपका तो परिवार ही कश्मीर की धरती से आता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वो कश्मीर में है। आपने यहां जो करारनामा किया है, उसे कैसे देखते हैं?

सुरेश रैना: जम्मू-कश्मीर बहुत ही खूबसूरत जगह है। पिताजी सेना में थे। 2018 में हम जम्मू-कश्मीर बनाम उत्तर प्रदेश का मैच हुआ था। इरफान ने यहां बहुत काम किया है। कई खिलाड़ी यहां से निकले। मैं चाहता था कि जम्मू-कश्मीर को कुछ लौटा सकूं। जब पहली बार खेला था तो यहां से फोन आया कि वापस लौट आओ, लेकिन मैं उत्तर प्रदेश में पैदा हुआ हूं तो पिताजी ने मना किया। भारतीय टीम अभी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। आने वाले समय में हम चाहते हैं कि जम्मू का कोई बच्चा भारतीय टीम में खेले।

सवाल: स्विंग के किंग आप रहे हैं। हमारा पहला नाता जम्मू-कश्मीर से रहा है। आपके प्रयासों के बारे में बताइए। नए खिलाड़ी क्या करें?

इरफान पठान: मुझे और सुरेश रैना को यहां बड़े मंच पर आमंत्रित करने के लिए शुक्रिया। सुरेश रैना भी जम्मू-कश्मीर में आकर कुछ करना चाहते थे इसलिए उन्होंने एमओयू साइन किया। हमने 60 हजार बच्चों को क्रिकेट खिलाया था। फिर कुछ नतीजे मिले। यहां 24 जिले हैं। वहां सभी को क्रिकेट खेलने का मौका मिले, हम यही चाहते थे। दिल्ली के ताज होटल में जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ के पदाधिकारी थे। साथ ही कपिल देव जी थे। वहां मुझे बुलाया गया था। उस वक्त मेरे हाथ में चार लीग थीं। मैंने सोचा था कि रिटायरमेंट के बाद बाहर जाकर खेलूं। एक बड़ा कमर्शियल पहलू भी था। कपिल देव जी ने एक ही बात बोली कि अगर आप जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के साथ जुड़ते हैं तो क्रिकेट को कुछ लौटाने का मौका आपको यहीं मिलेगा। मैंने दो दशक से ज्यादा क्रिकेट खेला हूं। एक हजार विकेट निकाले हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में दो साल जो मैंने काम किया, वह मेरी जिंदगी के सबसे सुनहरे पल थे।

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सवाल: अमर उजाला के पाठकों ने आप दोनों क्रिकेटरों के लिए सबसे ज्यादा सवाल पूछे हैं। 

इरफान पठान: आप फैन्स कैसे कमाते हैं। एक तो सुरेश रैना हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं, तीनों फॉर्मेट में शतक लगाए हैं। तो लोग समझते हैं कि हम भी यह काम कर सकते हैं। तब प्रशंसक बढ़ते हैं। 

सवाल: राशिद खान के साथ आपका डांस कोई भूलेगा नहीं। वह वायरल हो गया। भारत हार गया तो कई प्रतिक्रियाएं आईं। पाकिस्तान की तरफ से ट्रोलिंग हुई।

इरफान पठान: हम में और पड़ोस में मानसिकता का जमीन-आसमान का फर्क है। हमने अफगानिस्तान की जीत पर डांस किया, पाकिस्तानियों ने हमारी हार पर डांस किया। यही फर्क है। 

सुरेश रैना: पाकिस्तान से जिन लोगों ने प्रतिक्रिया दी, उन्हें इरफान पठान आउट कर चुके हैं। वहां के पठान शाहिद आफरीदी को हमारे पठान इरफान ने बहुत बार आउट किया है।

सवाल: हमें लग रहा था कि विश्व कप हमारा है। फाइनल में कहां चूक हुई?

सुरेश रैना: दिल तो सबका दुखा है। लड़कों ने बहुत मेहनत की थी। हिंदुस्तान की यह विश्व कप में अब तक की सर्वश्रेष्ठ टीम थी। गेंदबाजी देखिए। विराट का 50वां शतक आया। सचिन के होम ग्राउंड पर उनके सामने शतक बनाया। एक मैच खराब गया तो टीम को जज नहीं करना चाहिए। हम अच्छा खेले। रोहित अगर आउट नहीं होते तो हमने 325 रन बना दिए होते। कम स्कोर होता है तो उसे बचाना मुश्किल होता है। अगर चालीस-पचास रन और बने होते तो स्टेडियम गूंज रहा होता। वहां विकेट स्लो था। ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी की तारीफ करनी होगी। ट्रेविस हेड ने बहुत अच्छा कैच पकड़ा। 

सवाल: फाइनल मैच को आप कैसे देखते हैं? पिच पढ़ने में क्या गलती हुई?

इरफान पठान: मैच के एक दिन पहले कुछ सवालों के जवाब दिए थे। मेरा यही कहना था कि पूरी टीम सोच रही होगी कि टॉस जीतकर बल्लेबाजी करें। मैं अहमदाबाद की पिच जानता हूं। वहां लक्ष्य का पीछा करना ज्यादा सही रहता। पाकिस्तान को हमने 200 भी नहीं बनाने दिए। न्यूजीलैंड भी लक्ष्य का पीछा करते हुए जीता था। हर मौसम में वहां की पिच अलग तरह से बिहेव करती है। नमी की वजह से भी पिच सैटल हो जाती है। मेरा मानना था कि टीम को टॉस जीतकर लक्ष्य का पीछा करना चाहिए। हालांकि, फिर भी हमने लड़ाई की। जब हम बैटिंग कर रहे थे तो देख रहे थे कि ज्यादा बल्लेबाजी नहीं बची है। जब रोहित आउट हुए, उसके बाद भी हम 300 बना सकते थे। जब हमने 240 बनाए तो खेल वहीं खत्म हो गया।

सवाल: क्या भारतीय टीम में युवाओं को अब ज्यादा मौका मिलना चाहिए?

सुरेश रैना: युवाओं को मौका मिलना चाहिए। जब हमने टी20 विश्व कप जीता था तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह टीम कप जीतेगी। अभी यशस्वी, ऋतुराज जैसे खिलाड़ी अच्छा खेल रहे हैं। अहम बात यह होगी कि नेतृत्व कौन करेगा। क्या रोहित शर्मा कप्तानी संभालेंगे। हमें देखना होगा कि आईसीसी ट्रॉफी हम क्यों नहीं जीत पा रहे। वनडे विश्व कप में हमने कई डॉट बॉल्स खेलीं। बड़े मौकों पर हमें बहादुरी दिखानी होगी। ऑस्ट्रेलिया हमें दबोच चुका था। टी20 नया फॉर्मेट है। वहां ट्रॉफी जीतने के लिए जोश, जुनून, पागलपन चाहिए, तो युवाओं को रखना होगा।

इरफान पठान: सीनियर और जूनियर्स का मिश्रण रखना होगा। वेस्टइंडीज में जो विश्व कप होगा, वहां अनुभव की जरूरत होगी। वनडे विश्व कप और टी20 विश्व कप में ज्यादा दिनों का अंतर नहीं है। ऐसा नहीं कह सकते कि हम घर के सारे बदल डालेंगे।

सवाल: क्या क्रिकेट की अति हो रही है। ग्लैमर और पैसा ज्यादा आ गया है? क्या ऐसे में क्रिकेट की आत्मा गुम हो जाती है?

सुरेश रैना: पैसा एक बार में नहीं मिल जाता। पंद्रह साल अच्छा प्रदर्शन करना पड़ेगा। 

इरफान पठान: 2003 में मैंने डेब्यू किया था, 2012 में आखिरी बार खेला था। जब तक लीग नहीं आई थी, तब तक एक ही टीम थी। तब बड़ा प्यार मिलता था, तवज्जो मिलती थी। चीजें अब थोड़ी बंट गई हैं। युवाओं के सामने यह चुनने की चुनौती कि उनकी प्राथमिकता क्या है। लंबे समय तक कहां टिक सकते हैं, यह उन्हें तय करना है। पूरी जिंदगी कई खिलाड़ियों ने कमाया नहीं होगा, उतना एक सीजन खेलकर मिल जा रहा है। जम्मू कश्मीर से दो लड़के आए। उमरान मलिक और अब्दुल समद। ये सिर्फ यहां के हीरो ही नहीं बने, उनका पारिवारिक जीवन बेहतर हो गया। उनकी आंखों में खुशी, जबान पर दुआएं थीं। देखकर सुकून मिल रहा था। आज एक रिक्शा चलाने वाले का लड़का आईसीसी का नंबर वन रैंक होल्ड बना है, नाम है मोहम्मद सिराज। पहले 60 ओवर का क्रिकेट था। फिर बदलाव हुआ। तब भी कहा गया कि यह तमाशा है। हम दो बार चैंपियन बने। 2011 में हम जीते, चीजें बदल गईं। मेरी प्राथमिकता हमेशा मुल्क रहा है। अगर आप अच्छा क्रिकेट खेलकर परिवार की मदद करना  चाहते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है।

सवाल: फिटनेस तो प्रभावित हो रही है। लीग में फिट खिलाड़ी बड़े टूर्नामेंट में अनफिट हो जाते हैं। 

इरफान पठान: एक बॉल डालने पर बॉडी से आठ गुना ज्यादा वजन पैरों, कंधों पर आता है। चोटिल होना जुर्म नहीं है। अगर आप देश के लिए खेल को प्राथमिकता देंगे तो बाकी चीजें अपने आप पीछे आएंगी।

सवाल: आपके लिए पाठकों ने सवाल पूछा है कि आपने चेन्नई की टीम अचानक क्यों छोड़ दी?

सुरेश रैना: धोनी भाई से पूछ लो, वो बताएंगे। …मैंने छोड़ा नहीं है। मैं जब देश के लिए खेल रहा था, तब मुझे लगा कि मैंने माता-पिता या परिवार के लिए ज्यादा समय नहीं निकाला। मैंने आईपीएल खेला, फिर मोटिवेशन नहीं मिल पा रहा था। देश के लिए खेलना अलग बात थी। खानी तो दाल-रोटी है, सब यहीं रह जाना है।

इरफान पठान: ये कहने की बात है। ये बिरयानी खिलाता भी है और बहुत अच्छी बनाता भी है। धोनी हमारे अच्छे दोस्त हैं। हमारी सोच अलग हो सकती है, लेकिन दोस्ती कमाल की है। मैं चेन्नई के खेमे में होता, धोनी की जगह फैसले लेने वाली स्थिति में होता तो मैं सुरेश रैना को कभी नहीं छोड़ता। ये सिर्फ मिस्टर सीएसके नहीं, मिस्टर आईपीएल हैं। इसकी कुछ वजहें हैं। इन्होंने बड़े मैच जिताए हैं। इन्होंने कभी दबाव नहीं बढ़ने दिया।

सवाल: एक मिनट में आप खुद को या एकदूसरे को कैसे परिभाषित करेंगे। 

सुरेश रैना: मुझे वेज-नॉन वेज, कश्मीरी खाना बहुत पसंद है। जम्मू में राजमा चावल पसंद हैं। हम दुनिया में बहुत घूमे हैं। खाना पसंद है। अगर मैं क्रिकेटर नहीं होता तो अच्छा शेफ होता, स्पाइसी शेफ होता। मैं गाना बहुत अच्छा गाता था पहले। 

इरफान पठान: जिंदगी जीने वाला इंसान हूं। खुशियां फैलाना चाहता हूं। कई बार पड़ोस वालों (पाकिस्तान) को नाराज कर देता हूं। माता-पिता ने जो संस्कार दिए, उसे संभालकर रखने वाला इंसान हूं। कई बार इतना सच बोल देता हूं, उसका नुकसान होता है। 

सुरेश रैना: इरफान अब तक तीन-चार लाख लोगों की मदद कर चुके हैं। गरीब बच्चों से ये पैसे नहीं लेते। 

इरफान पठान: सुरेश रैना एक प्यारा इंसान, दिल में मोहब्बत रखने वाला इंसान है। ऐसा टीम प्लेयर जो दूसरे खिलाड़ियों की कामयाबी पर भी जश्न मनाता है। हम खुशनसीब हैं जो इनके जैसा इंसान मिला।

सुरेश रैना: इरफान फाइटर हैं। जब भी मुश्किलें हों तो ये आकर खेलते थे। शोएब अख्तर बीमर मारते थे तो ये उन्हें बल्लेबाजी से परेशान कर देते थे। कई लोगों की ये मदद करते हैं। माता-पिता की दुआओं से आप सब हासिल कर सकते हैं, वह इरफान ने कर दिखाया है। मैंने वो कमरा भी देखा है, जहां ये परिवार के साथ देखते थे। 

सवाल: एक-एक बात जो आपने अब तक कभी किसी मंच से साझा नहीं की?

इरफान पठान: जब जम्मू कश्मीर क्रिकेट के लिए मेंटर बना तो वहां अलग-अलग इलाकों में जाकर लड़कों को ढूंढना था। मुझे कुपवाड़ा जाना था। एक दिन पहले हमारे जवानों ने किसी आतंकी को मार गिराया था। मैं जहां रुका था, वहां से 50 मीटर दूर यह हुआ था। कोई और होता तो शायद वहां न जाता। मैं वहां खामोशी महसूस कर रहा था। मैं वहां गया, रात को रुका। वहां फिर मैंने लड़के की गेंदबाजी देखी। किसी दिन वह नेशनल खेलेगा। 

इरफान, रैना ने गाए गाने, अफगान डांस भी किया

इरफान पठान ने ‘चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो’ और सुरेश रैना ने ‘दो दिल मिल रहे हैं, मगर चुपके-चुपके’ गाना गाया। बाद में दोनों ने युवाओं के साथ डांस भी किया।

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