Success Story: कैंसर को मात देकर शुरू की खुद की कंपनी, फूड सेक्टर में सोनल ने बनाया बड़ा नाम


गुजरात, दुबई, ओमान के बाद बिहार की राजधानी पटना को अपनी कर्म भूमि बनाने वाली सोनल पटेल इन दिनों फूड के क्षेत्र में बिहार के लोगों को यूनिक स्वाद दिलाने में लगी हैं. कभी कैंसर रोग होने की वजह से बिहार इलाज कराने गई गुजरात की सोनल पिछले तीन सालों से बिहार सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी से जुड़कर अपनी अलग पहचान बनाने में लगी हैं. सोनल कहती हैं कि दुबई में एक अच्छी नौकरी को छोड़कर जब भारत आना हुआ तो कभी सोचा नहीं था कि बिहार को अपनी कर्मभूमि बनानी पड़ेगी. लेकिन आज लोगों को बिहार का मशहूर चंपारण मीट का स्वाद वेज में दिलाने में लगी हैं. साथ ही फूड के क्षेत्र में कोई कैसे खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकता है, यह बताने का प्रयास भी कर रही हैं. 

सोनल पटेल. फोटो -किसान तक

सोनल पटेल गुजरात राज्य के बड़ौदा जिले की रहने वाली हैं. वह दुबई की पुलिस एकेडमी के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में काम करती थीं. वहीं दुबई सरकार के साथ मिलकर अन्य प्रोजेक्ट पर काम करती थीं. लेकिन 2018 के दिसंबर महीने में अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद कैंसर रोग का पता चला. इसके बाद वह सब कुछ छोड़कर भारत इलाज के लिए आईं. सोनल कहती हैं कि मानो कुछ घंटों में ही वर्तमान से लेकर भविष्य के सभी सपने खत्म हो गए थे. लेकिन फिर से अपनी अलग पहचान बनाने की ओर अग्रसर हैं.

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पटना आने पर पता चला कैंसर रोग था ही नहीं

सोनल पटेल किसान तक से बातचीत के दौरान बताती हैं कि जब वह भारत कैंसर इलाज के लिए आईं, तो मुंबई में कई डॉक्टरों से इलाज को लेकर मिलीं. वहीं कुछ लोगों ने पटना में इलाज कराने को लेकर सलाह दी. उसके बाद पटना आने के बाद पता चला कि कैंसर नहीं है जिसके बाद जो रोग हुआ था, उसके इलाज के लिए उन्होंने आयुर्वेद का सहारा लिया. शुद्ध देसी तरीके से भोजन के साथ नेचर से जुड़ी चीजों का उपयोग करना शुरू किया. इसके बाद तबियत ठीक हो गई. उसके बाद ओमान नौकरी करने गईं, लेकिन कोविड के दौरान वहां से लौटकर पटना आईं. यहां आने के बाद सिंगापुर की एक कंपनी के द्वारा एक लाख रुपये महीने की नौकरी पटना में मिल गई. यही से आने वाले दिनों में स्टार्टअप को लेकर एक नए अध्याय की शुरुआत हुई. 

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बिहार में रोजगार के कई विकल्प

पटेल कहती हैं कि बिहार को लेकर लोगों में कई तरह की धारणा बनी हुई है. लेकिन ऐसा नहीं है. समय के साथ बिहार में काफी कुछ बदल रहा है. यहां के लोग बड़े शहरों में नौकरी करने जाते हैं, लेकिन मुझे बिहार सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी के तहत पटना में एक किचन मिला है. आज इसी के दम पर अच्छी कमाई के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हैं. आगे वह कहती हैं कि एक लाख की नौकरी पटना में छोड़ने के बाद अगस्त 2022 से लोगों को वेज में यूनिक स्वाद दिलाने में लगी हैं. वहीं अब तक करीब सात हजार से ज्यादा कस्टमर जुड़ चुके हैं. साथ ही सालाना साढ़े आठ लाख तक से ऊपर की कमाई हो रही है. आगे वह कहती हैं कि अगर गुजरात से होने के बाद भी यहां की सरकार मुझे स्टार्टअप शुरू करने में मदद कर सकती है, तो यहां के लोगों को तो आसानी से मदद मिल सकती है. बस कुछ नया सोचने की जरूरत है.


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