Sugar industry : गन्ना किसानों को अब होगा दोगुना फायदा, नॉन फूड बायोमास से बनाई जाएंगी ये खास चीजें


Newz Fast, New Delhi, Sugar industry : गन्ने का फैक्ट्रिया साल में सिर्फ 5 से 6 महीने के लिए ही खुली रहती है। पहले गन्ने का इस्तेमाल सिर्फ चीनी या गुड़ बनाने के लिए ही किया जाता था। इसके बाद इसमें से जो नॉन फूड बायोमास बचता था उसे यूहीं फेंक दिया जाता था, लेकिन अब इस नई योजना से नॉन फूड बायोमास ने नए-नए प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे।

देश में लाखों ऐसे किसान हैं जो गन्ने का उत्पादन करते हैं। गन्ने का रेट हमेशा फिक्स ही रहता है। ऐसे में किसानों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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किसानों को गन्ने का अधिक मूल्य नहीं मिल पाता, लेकिन सरकार की इस नई योजना से अब किसानों को काफी फायदा होने वाला है। पहले के समय में गन्ने का इस्तेमाल सिर्फ शक्कर के निर्माण के लिए ही होता था।

इससे जो नॉन फूड बायोमास बचता था उसे किसी भी इस्तेमाल में नहीं लिया जाता था, लेकिन अब गन्ने की फसल से बचे नॉन फूड बायोमास और खेतों में बची हुई खरपतवार का इसेतममाल कई प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाएगा।

इन सब की मदद से इंडस्ट्री (Sugar industry) में ही कई प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे। इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा। ऐसे कई प्रोडक्ट्स हैं जिनका आयात किया जाता है जैसे यूरिया, पॉली एथिनिल, एथेनॉल और पेपर। अब इन सब चीजों को नॉन फूड बायोमास से ही तैयार किया जा सकेगा।

नॉन फूड बायोमास से बनाए जाएंगे ये प्रोडक्ट्स

कानपुर में स्थित नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में गन्ने को लेकर कई रिसर्च की जाती है। इन इंस्टिट्यूट में इस पर काम किया जाता है कि शुगर इंडस्ट्री में नए-नए प्रोडक्ट्स कैसे तैयार किए जा सकते हैं।

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अब ये कोशिश की जा रही है कि शुगर इंडस्ट्री (Sugar industry) में शक्कर के साथ ही कई नए प्रोडक्ट्स भी बनाए जा सकें। इसी चरण में अब शक्कर बनाने के बाद गन्ने से जो नॉन फूड बायोमास बचता है उसका इस्तेमाल नए प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए किया जाएगा।

इस बायोमास से यूरिया, पेपर ,इथेनॉल, पाली एथिलीन जैसी कई चीजें तैयार की जाएंगी। इस नए प्रोजेक्ट से शुगर इडंस्ट्री को फायदा तो होगा ही, इसी के साथ ही किसानो को भी इससे काफी अच्छा प्रोफिट मिलेगी। सरकार को इन सभी चीजों का आयात भी नहीं करना पड़ेगा।

प्रदूषण में भी होगा रोकथाम

शक्कर विशेषज्ञ विवेक वर्मा ने जानकारी दी है कि अब जब देश में ही नॉन फूड बायोमास से वो सभी प्रोडक्ट्स बनाए जा सकेंगे जो दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं तो उन सभी चीजों के आयात पर रोक लगा दी जाएगी क्योंकि इसके बाद उन सभी चीजों का निर्माण देश में ही किया जा सकेगा।

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अभी तो इस नॉन फूड बायोमास को एक कचरे की तरफ फेंक दिया जाता है, लेकिन आने वाले समय में इसकी कीमत काफी बढ़ जाएगी और इससे कई महंगे से महंगे प्रोडक्ट्स बनाने शुरु कर दिए जाएंगे।

इसकी कीमत शक्कर जितनी हो जाएगी। इसी के साथ ही खेतों में जो खरपतवार बचती है किसानों से अनुरोध किया जाएगा कि वे उसे न जलाएं क्योंकि इसके इस्तेमाल से भी कई चीजें बनाई जा सकेंगी। इससे प्रोजेक्ट से वायु प्रदूषण रोकने में भी मदद मिलेगी।


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