Tigdi Mela : मेले में गंगा की जमीन से होगी 34 लाख की वसूली, इस बार महंगाई की मार भी झेलेंगे श्रद्धालु – Rs 34 lakh will be recovered from Ganga land in the fair devotees will also bear the brunt of inflation


सौरव प्रजापति, गजरौला : अगर, इस बार तिगरी मेले में दुकान लगाने या फिर सैर-सपाटे करने का मन बना रहे हैं तो फिर जेब को भी मजबूत रखना होगा। क्योंकि पिछली बार के मुताबिक इस बार छोड़े गए दुकानों के नाम पर वसूली और मनोरंजन के ठेकों में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे स्वाभिक बात है कि इसकी पूर्ति भी दुकानदार और श्रद्धालुओं की जेब से ही होगी।

खास बात है कि वर्ष 2018 में तिगरी व गढ़मुक्तेश्वर के मेलों को सरकारी घोषित किया था। इसके बाद से इन दोनों मेलों के लिए शासन स्तर से करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत किया जाता है। ध्यान देने की बात यह है कि सरकारी बजट होने के बाद भी यहां पर प्रथाएं पुरानी चलती हैं।

मसलन, जब सरकारी बजट नहीं था। उस समय पर भी ऐसे ही ठेके छोड़े जाते थे और अब सरकारी बजट मिलने के बाद भी ठेके यूं ही छोड़े जा रहे हैं। हर किसी का यही सवाल कि आखिर सरकारी मेले का लाभ क्या है? अब पिछले मेले के आंकड़ों पर नजर डाली जाएं तो बढ़ोत्तरी हुई है।

वर्ष 2022 के मेले में मनोरंजन का ठेका 11 लाख रुपये का छोड़ा गया था। जो, इस बार 20 लाख रुपये का दिया गया है। ऐसे ही दुकानों के नाम पर वसूली का ठेका पिछली बार 30 लाख रुपये का था जो, इस बार 34 लाख रुपये का है। चार लाख रुपये दुकानों से वसूली और मनोरंजन के ठेके में नौ लाख रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। इससे साफ है कि जब ठेका महंगा छूटा है तो फिर उसकी पूर्ति श्रद्धालुओं की जेब से ही होनी तय है।

बदलते रहते ठेकेदार, वसूली करने वाले पुराने चेहरे

गजरौला : ध्यान देने की बात यह है कि तिगरी मेले में वसूली और मनोरंजन का ठेका भले ही अलग-अलग ठेकेदारों को मिलता हो लेकिन, यहां पर वसूली करने वाले चेहरे पुराने ही होते हैं। इस बार भी वही चेहरे मेला स्थल पर मंडराते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने अभी से ही मेला स्थल पर पहुंचकर दुकानों की सेटिंग करने शुरू कर दी है। इनमें कुछ लोग गजरौला शहर और कुछ गंगा पार के होते हैं।

गंगा बढ़ने से घट गई गढ़मुक्तेश्वर और तिगरी मेले की दूरियां

जासं, गजरौला : इस बार मां गंगा का धार का रूख बढ़कर गढ़मुक्तेश्वर की तरफ को हुआ तो दोनों तटों पर लगने वाले मेलों के बीच की दूरियां भी कम हो गईं।

ऐसी स्थिति में दोनों मेले में रहने वाले श्रद्धालु नाव के जरिये आसानी से इधर-उधर जाकर लुत्फ उठा सकेंगे। यूं तो गढ़ का मेला भी अमरोहा जनपद की जमीन पर लगता है लेकिन, उसका क्षेत्रफल गढ़ की तरफ को होता था लेकिन, इस बार मां गंगा की धार ने तिगरी में दायरा बढ़ाकर गढ़ मेले का भी नक्शा बिगाड़ा है। इस बार पार का मेला तिगरी गांव के ठीक सामने रहेगा।

बाढ़ खंड विभाग की लापरवाही

मेला स्थल पर सबसे ज्यादा परेशानी इस समय सड़क बनाने वाले ठेकेदारों को हो रही है। क्योंकि गंगा का जलस्तर बढ़ने की वजह से मेला स्थल की ओर चलने वाले दो नालों से पानी पहुंच रहा है। ऐसी स्थिति में सदर चौक से गंगा की तरफ को जाने वाली सड़क फिर से टूट चुकी है।

सड़क के ठेकेदार भोलू का कहना है कि बाढ़ खंड विभाग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। पानी नहीं रूक रहा है। जिसकी वजह से सड़क नहीं बन रही है। डीएम भी इस बात को लेकर कई बार कह चुके हैं। फिर भी बाढ़ खंड विभाग लापरवाह बना हुआ है। उधर, मेला स्थल पर बोरिंग का कार्य चल रहा है। कुछ संस्थाओं ने अपनी जगह भी चिन्हित करते हुए बैनर लगा दिए हैं।

इस बार तिगरी मेला प्रशासन के हाथों बसाया जा रहा है। इसलिए दुकानों की जमीन आवंटित करने में पूरी ईमानदारी रहेगी। जो, मूल्य निर्धारित किए जाएंगे। उसकी लिस्ट चस्पा होंगी। पैसे लेने के बाद रसीद दी जाएगी। अवैध वसूली का खेल नहीं होगा। बाकी इस कार्य की निगरानी करने के लिए एक टीम का भी गठन किया जाएगा।

मायाशंकर यादव, मेला अधिकारी एवं एडीएम न्यायिक, अमरोहा।


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