Wedding Food Menu: कोरोना के बाद बदल गया वेडिंग मेन्यू, शादियों में खा रहे लोग खिचड़ी और लौकी


नई दिल्ली: शादी की व्यवस्था में खाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है कि शादी में खाना आलीशान ही होना चाहिए, वरना मेहमानों के बीच इज्जत कम हो जाएगी। यही वजह है कि शादी में ट्रेडिशनल फूड और टिक्की-गोलगप्पे, चाऊमीन जैसे फास्ट फूड के बाद पिज्जा, मोमोज, पास्ता और खाने में कॉन्टिनेंटल व राजस्थानी-पंजाबी जैसे रीजनल फूड का कॉन्सेप्ट सामने आया। मगर कोरोना महामारी ने जहां लोगों को सेहत के प्रति जागरुक किया तो वहीं शादी के मेन्यू में भी इसका असर नजर आ रहा है और शादियों में घर जैसा खाना भी सर्व किया जा रहा है। ज्यादातर शादियों में इसके लिए अलग से स्टॉल भी बनाया जा रहा है। कहीं इसे देसी रसोई कहा जाता है तो कहीं पर देसी किचन या कच्ची रसोई, मगर खाना इनमें एकदम सादा, जैसे घर पर तैयार हुआ हो, ऐसा मिलता है।

सबको खिलाने के लिए हल्का खाना

सतवीर सिंह ने हाल ही में अपनी बहन की शादी की है। उन्होंने भी अपने खाने के मेन्यू में कुछ फूड आइटम्स ऐसे रखे थे जो घर के खाने की तरह साधारण और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हों। वह कहते हैं, ‘हम जब खाने का मेन्यू डिसाइड कर रहे थे, तो हमारे मन में यही ख्याल था कि क्या सभी लोग चाऊमीन और भल्ले पापड़ी जैसे फास्ट फूड या मक्खन नान और दाल मखनी जैसा खाना खाएंगे क्योंकि शादी में कई वृद्ध लोग भी होते हैं जो इस तरह के खाने से बचते हैं। फिर आजकल शुगर और बीपी जैसी बीमारियां भी कई लोगों को होती हैं जिनके बारे में किसी को पता नहीं होता। ऐसे में वह लोग ज्यादा फास्ट फूड या घी-तेल, मक्खन वाले खाने से बचते हैं। फिर इस सीजन में कई शादियां हैं। कुछ लोगों को कई शादियों में जाना होता है और रोज इस तरह का भारी खाना खाने से वह बचना चाहते हैं।

लोग इस तरह का खाना आमतौर पर उन बुजुर्गों के लिए रखवाते हैं जिनकी उम्र 50-60 साल से ज्यादा है।
शेफ ललित तुली, तंदूरी नाइट्स ग्रैंड कैटरिंग सर्विसेज

ऐसे में मेजबान होने के नाते यह ध्यान रखना हमारा काम था कि सभी मेहमान खाना खाकर जाएं। इसलिए हमने सादा घर जैसा खाना रखवाने का फैसला लिया ताकि जिनको वैसा खाना ना पसंद आए तो वह भी हमारे यहां से बिना खाए ना लौटें। हमने अपने कैटरर से स्पेशली कहा था कि इस खाने का स्वाद और रंग-रूप बिल्कुल घर के खाने जैसा हो।’ तंदूरी नाइट्स ग्रैंड कैटरिंग सर्विसेज ग्लोबली के ओनर शेफ ललित तुली कहते हैं, ‘लोग इस तरह का खाना आमतौर पर उन बुजुर्गों के लिए रखवाते हैं जिनकी उम्र 50-60 साल से ज्यादा है क्योंकि वह लोग हल्का खाना चाहते हैं। फिर सेहत के लिए भी ज्यादा फायदेमंद होता है और बाकी चीजों की तरह इसमें घी-तेल ज्यादा नहीं होता।’

इस तरह के मेन्यू में अरहर की दाल, आलू मेथी की सब्जी, गाजर मटर की सब्जी, बाजरे की खिचड़ी और छाछ की मांग होती है।
हरिराम बाबूराम, हलवाई

सुपरहिट है दाल तड़का, खिचड़ी और घीया

शादियों में खाना लगाने वाले कैटरर्स बताते हैं कि सिर्फ दाल तड़का और तवा रोटी तक ही इसका मेन्यू नहीं सिमटा बल्कि अब तो इसमें घीया, खिचड़ी और गाजर मटर जैसी सब्जियों की भी मांग हो रही है। ललित तुली बताते हैं, ‘इस तरह का मेन्यू आमतौर पर शादी में ही रखा जाता है, ना कि शादी के अन्य फंक्शंस में। इसमें भी लोग तड़का दाल, आलू मटर, घीये की सब्जी, खिचड़ी की मांग कर रहे हैं। हालांकि कुछ शादियों में रीजनल फूड की भी मांग होती है लेकिन वह भी सादा खाना ही होता है जैसे राजस्थानी मेन्यू में गट्टा, मंगोड़ी और पापड़ की सब्जी बहुत पॉपुलर है लेकिन उसमें दाल बाटी चूरमा नहीं रखा जाता।’ वहीं कैटरिंग सर्विस देने वाले पुरानी दिल्ली के बाबूराम हरिराम हलवाई कहते हैं कि इस तरह के मेन्यू में अरहर की दाल, आलू मेथी की सब्जी, गाजर मटर की सब्जी, बाजरे की खिचड़ी और छाछ की मांग होती है। गैदरिंग के हिसाब से लगभग 25 फीसदी लोगों के लिए आजकल इसी तरह का खाना तैयार किया जा रहा है।’ वह बताते हैं कि पहले भी इस तरह की रसोई लगाई जाती थी, मगर अब इसकी मांग बढ़ गई है।

1 साल तक तैयारी, दो उपद्रवी अंदर, तीन बाहर…जानिए इन सबकी क्राइम कुंडली


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *