World Cup 2023: क्रिकेट में एलबीडब्‍ल्‍यू आउट कब शुरू किया गया, क्‍यों पड़ी थी इसकी जरूरत?


LBW in Cricket: वर्ल्‍ड कप 2023 भारत में चल रहा है. आज भारत और अफगानिस्‍तान के बीच दिल्‍ली के अरुण जेटली स्‍टेडियम में मैच खेला जा रहा है. आज के मैच में भारतीय तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर ने अपनी तेज रफ्तार अंदर आती हुई गेंद पर अफगानिस्‍तान के बैट्समैन रहमत शाह को एलबीडब्‍ल्‍यू आउट कर पवेलियन का रास्‍ता दिखा दिया. पहले भी आपने कई बार देखा होगा कि जब बॉल बैट्समैन के बैट पर लगने के बजाय सीधे लेग गार्ड्स पर लगती है तो बॉलर, विकेटकीपर अंपायर से अपील करते हैं. अगर बॉल की लाइन और लेंथ ऐसी होती है कि गेंद अगर पैड पर नहीं लगती तो सीधे स्‍टंप उखाड़ देती तो अंपायर बैट्समैन को आउट करार दे देता है. इसे ही एलबीडब्‍ल्‍यू आउट कहा जाता है. लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि एलबीडब्‍ल्‍यू आउट की व्‍यवस्‍था क्‍यों और कब शुरू की गई थी?

क्रिकेट में बल्लेबाज को आउट करने के 10 अलग-अलग तरीकों में एक लेग बिफोर विकेट यानी एलबीडब्ल्यू भी है. हालांकि, ये नियम लंबे समय तक विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. कुछ साल पहले तक एलबीडब्ल्यू आउट का फैसला पूरी तरह से ऑन-फील्ड अंपायर पर निर्भर होता थे. कई बार ऐसा हुआ है कि एलबीडब्ल्यू आउट का फैसला अंपायरों की मानवीय चुक के कारण चर्चा में आया है. हालांकि, तकनीक के साथ चीजें बदलती चली गईं. स्लो-मोशन वीडियो, बॉल ट्रैकिंग और अब डीआरएस तकनीकी के आने से एलबीडब्ल्यू आउट के फैसलों में काफी हद तक सुधार नजर आने लगा है.

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एलबीडब्‍ल्‍यू आउट में कब मिलती है छूट?
तकनीकी सहायता के बाद भी आज भी अंपायरों के लिए सबसे मुश्किल फैसला एलबीडब्ल्यू आउट ही माना जाता है. अब अगर बैट्समैन एलबीडब्‍ल्‍यू आउट के अंपायर के फैसले से संतुष्‍ट नहीं होते हैं तो थर्ड अंपायर का रुख कर लेते हैं. इससे ऑन-फील्‍ड अंपायरों पर दबाव और ज्‍यादा बढ़ गया है. आसान शब्दों में कहें तो एक बल्लेबाज को तब एलबीडब्ल्यू आउट करार दिया जाता है, जब वह गेंद को स्टंप में जाने से पैर लगाकर रोकता है. पैर ही नहीं अगर बल्लेबाज के शरीर का कोई भी हिस्सा स्टंप्स के रास्ते में आता है तो उसे एलबीडब्ल्यू करार दिया जाता है. इसमें सिर्फ हाथों के बीच में आने की छूट होती है.

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क्रिकेट मैच में बल्‍लेबाज को एलबीडब्‍ल्‍यू आउट करार दिए जाने की कई शर्तें होती हैं.

एलबीडब्‍ल्‍यू आउट के लिए क्‍या हैं शर्तें?
क्रिकेट मैच में बल्‍लेबाज को एलबीडब्‍ल्‍यू आउट करार दिए जाने की कई शर्तें होती हैं. सबसे पहली शर्त यही है कि इस तरह से आउट देने के लिए बॉलर को वैध डिलीवरी फेंकनी होती है. आसान भाषा में कहें तो फेंकी गई गंद ‘नो बॉल’ नहीं होनी चाहिए. एलबीडब्ल्यू कॉल के लिए सबसे पहले ये देखा जाता है कि गेंद सबसे पहले बल्लेबाज को कहां छूती है. अगर गेंद पैड से टकराने के पहले बल्ले, हाथ या खिलाड़ी के शरीर से टकराती है, तो इसे एलबीडब्ल्यू आउट नहीं माना जा सकता है. अगर गेंद बल्ले और खिलाड़ी के शरीर से एक साथ टकराती है, तो उसे माना जाता है कि वह पहले बल्ले से टकराई है.

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क्‍या पिच होने की जगह से पड़ता है असर?
अगर बल्लेबाज गेंद के बाउंस होने से पहले बल्ले से नहीं रोक पाता है, तो एलबीडबल्यू की अपील के लिए जरूरी है कि गेंद का उछाल तीनों विकेट के लाइन में हो या ऑफ स्टंप की लाइन में हो. अगर गेंद लेग स्टंप से बाहर पिच होती है और स्विंग या स्पिन होकर उसके विकेटों में आती है तो उसे एलबीडब्ल्यू आउट नहीं दिया जाता है. गेंद को ऑफ स्टंप लाइन के बाहर पिच होने और विकेटों की ओर आने के मामले में भी बल्लेबाज को एलबीडब्ल्यू आउट देने से पहले विचार किया जाता है. अगर गेंद और बल्लेबाज के शरीर के बीच का प्वाइंट ऑफ इंपैक्ट स्टंप की लाइन में है और बाकी शर्तें पूरी होती हैं, तो बल्लेबाज को एलबीडब्‍ल्‍यू आउट करार दिया जाता है.

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अंपायर्स कॉल के पक्ष में कब होता है फैसला?
गेंद और बल्लेबाज के शरीर के बीच का प्वाइंट ऑफ इंपैक्ट ऑफ स्टंप लाइन के बाहर है तो बल्लेबाज को आउट दिया जा सकता है, लेकिन वह शॉट खेलने की कोशिश नहीं कर रहा हो. अगर बल्लेबाज ने शॉट खेलने का प्रयास किया है, लेकिन वह चूक गया है तो वह नॉट आउट दिया जाता है. बल्लेबाज ने वास्तव में गेंद को खेलने की कोशिश की है या नहीं, यह एलबीडब्ल्यू निर्णयों का सबसे कठिन हिस्सा बन जाता है. कुछ मामलों में तीसरे अंपायर और वीडियो सहायता के बाद भी फैसला ऑन-फील्‍ड अंपायर के विवेक पर निर्भर करता है. ऐसे मामलों में थर्ड अंपायर अंपायर्स कॉल के पक्ष में फैसला देते हैं.

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नियमों में हाल में किए गए बदलाव के बाद स्टंप के टॉप पर लगी बेल्स को भी विकेटों का हिस्सा माना जाता है.

बेल्‍स की ऊंचाई पर हो बॉल तो क्‍या होगा?
नियमों में हाल में किए गए बदलाव के बाद स्टंप के टॉप पर लगी बेल्स को भी विकेटों का हिस्सा माना जाता है. ऐसे में अगर गेंद की ऊंचाई बेल्स तक की होती है, तो भी फैसला गेंदबाज के पक्ष में जाता है. हालांकि, इसमें भी बाकी सभी शर्तें पूरी होनी जरूरी हैं. क्रिकेट में आउट के सभी तरीकों की तरह, क्रिकेट में ज्यादातर मौकों पर एलबीडब्ल्यू आउट होना गेंद का बल्लेबाज के पैड में लगना ही माना जाता है, क्योंकि उसका बाकी शरीर स्टंप से ऊंचा होता है. इसलिए उसका पैर ही ज्यादातर मौकों पर स्टंप्स के सामने आ जाता है. इसीलिए इसे लेग बिफोर विकेट कहा जाता है.

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किस नियम के तहत आता है एलबीडब्‍ल्‍यू?
एलबीडब्ल्यू नियम मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब यानी एमसीसी के क्रिकेट के कानून 36 के तहत दर्ज है. क्रिकेट के नियमों का सबसे पुराना ज्ञात संस्करण 1744 से पहले का है. हालांकि, सीधे तौर पर एलबीडब्ल्यू का इसमें कोई जिक्र नहीं है. उस समय इंग्लैंड में इस्तेमाल किए जाने वाले बल्ले घुमावदार होते थे. इस बल्‍ले से विकेटों को ब्लॉक करने की संभावना काफी कम होती थी. हालांकि, अंपायरों के पास खिलाड़ियों को दंड देने का अधिकार था. अगर बल्लेबाज गलत तरीके से गेंद को हिट करने के लिए खड़ा होता था, तो अंपायर 1744 के क्लॉज के मुताबिक बल्लेबाज को दंडित कर सकते थे.

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कब और क्‍यों शुरू हुआ एलबीडब्ल्यू?
बल्ले बाद के वर्षों में सीधे होने लगे और बल्लेबाज गेंदों को विकेट में जाने से रोकने के लिए पैड का इस्‍तेमाल करने लगे. उस समय इसे पैड प्ले के तौर पर जाना जाता था. पैड प्ले की वजह से क्रिकेट मैच उबाऊ हो गए. साथ ही ये माना गया कि ये गेंदबाजों के साथ गलत हो रहा है. इसके बाद 1774 के कानून के मसौदे में शामिल एक नियम बदला गया. इसी के बाद एलबीडब्ल्यू नियम को लागू कर दिया गया. तय हुआ कि अगर बल्लेबाज जानबूझकर स्टंप में जाने वाली गेंदों को पैर से रोकेगा तो उसे आउट करार दे दिया जाएगा. हालांकि, एलबीडब्‍ल्‍यू आउट के नियम में कई बार संशोधन किए गए.

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अगर बॉल पैड पर लगने से पहले बैट को छूती है या दोनों को एकसाथ छूती है तो एलबीडब्‍ल्‍यू आउट नहीं दिया जा सकता है.

कौन थे एलबीडब्‍ल्‍यू आउट हुए पहले प्‍लेयर?
इंटरनेशनल क्रिकेट में एलबीडब्ल्यू आउट होने वाले पहले खिलाड़ी इंग्लैंड के हैरी जूप थे. उन्‍हें 1876 ​​में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज टॉम गैरेट ने एलबीडब्‍ल्‍यू आउट किया था. उस समय वह 63 रन पर खेल रहे थे. अगर भारतीय प्‍लेयर्स की बात करें तो नाऊमल जूमल एलबीडब्ल्यू आउट होने वाले पहले इंडियन क्रिकेटर थे. उन्‍हें 1932 में लॉर्ड्स में हुए टेस्ट मैच में इंग्लैंड के वाल्टर रॉबिन्स ने आउट किया था. तब वह 33 रन पर खेल रहे थे. इसी मैच के दौरान भारत के कप्तान सीके नायडू ने एडी पेंटर को 14 रन पर एलबीडब्ल्यू आउट किया था. वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने थे. लॉर्ड्स का ये मैच टीम इंडिया का पहला आधिकारिक टेस्ट मैच भी था.

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