सबसे तगड़ी राइवलरी इंडिया-ऑस्ट्रेलिया: कैसे बदला टीम इंडिया का एटीट्यूड…1993 के बाद से दिखाया ऑस्ट्रेलिया को एग्रेशन तो जीता 2011


3 घंटे पहले

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ऑस्ट्रेलिया…एक ऐसी टीम जिसने सबसे ज्यादा 5 बार वर्ल्ड कप जीता। इस टीम ने सबसे पहली बार 1987 में इंग्लैंड को हराकर वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था। यहां गौर करने वाली बात ये है कि 1987 का वर्ल्ड कप भारत में ही हुआ था।

आज इंडिया का वर्ल्ड कप कनेक्शन में बात टीम ऑस्ट्रेलिया की। साथ ही हमारे क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन ने बताया कि आखिर कैसे ऑस्ट्रेलिया भारत के लिए हर वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा हर्डल बन जाता है…

जब ब्रैडमेन के साथ खेलने के सपने देखते थे भारतीय खिलाड़ी…

वर्ल्ड कप मुकाबलों में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच राइवलरी 20-22 सालों में काफी उभर कर आई है। एक दौर ऐसा था जब ऑस्ट्रेलिया भारत पर बहुत हावी हुआ करता था। भारत का पहला ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट टूर साल 1947-48 में हुआ था। इस दौरान भारतीय टीम की ओर से कप्तान थे लाला अमरनाथ और ऑस्ट्रेलिया से डॉन ब्रैडमेन। जब लाला अमरनाथ से मेरी बात हुई तो उन्होंने बताया की उस वक्त हमारे प्लेयर्स के बीच सोच थी कि हमें ब्रैडमेन को देखने और उनके साथ खेलने का मौका मिलेगा। धीरे-धीरे गांगुली-कुंबले जैसे खिलाड़ियों के चलते टीम में कल्चरल बदलाव आया और हमारी टीम प्लेयर्स की आंख में आंख डालकर मैच खेलने लगे।

ब्रैडमेन के सामने खेलना भी भारतीय क्रिकेटर्स के लिए कभी सपने जैसा था

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2004 के बाद बदला इंडियन टीम का खेल और आत्मविश्वास…

गांगुली-कुंबले के कारण मिले आत्मविश्वास के कारण ही, साल 2004 में जाकर भारतीय टीम ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को उनकी धरती पर हराया। फिर साल 2018 और 2020-21 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उन्हीं की धरती पर सीरीज हराई। इसके पीछे IPL का एक बड़ा रोल रहा है। IPL के चलते भारतीय युवा खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के साथ वाकिफ होने का मौका मिला, वहीं ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी भी स्पिन गेंदबाजी को इस हद तक खेलना सीख गए की भारत ने WTC फाइनल में अश्विन को नहीं खिलाने का फैसला लिया। यहां तक आने में लगभग 50 साल लग गए।

IPL से और करीब आए ऑस्ट्रेलिया और भारत के खिलाड़ी

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ऑस्ट्रेलिया के सारे कप्तान एग्रेसिव रहे हैं…

मैच जिताने में कप्तान का बहुत बड़ा रोल होता है। मेरे ख्याल में आज तक कोई ऑस्ट्रेलियाई कप्तान डिफेंसिव नहीं रहा। पोंटिंग जैसे कप्तान तो मैच की शुरुआत से ही सामने वाली टीम पर प्रेशर बनाकर गेम खेलते थे। कप्तान के ऐसे अंदाज से ही टीम के बाकी प्लेयर्स भी प्रभावित होते है।

एग्रेशन बना ऑस्ट्रेलिया की पहचान

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2023 में ऑस्ट्रेलिया और इंडिया पर सबकी निगाहें: एक्सपर्ट्स

ऑस्ट्रेलिया के जैसे भारत ने भी काउंटर अटैक की तरह मैच खेलने शुरू किया, जिसका एक नमूना साल 1993 के ब्रिस्बेन में खेले मैच में दिखा। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को जबरदस्त टक्कर दी पर भारत ये मैच 1 रन से हार गया। ये मैच हारने के बाद ही भारतीय टीम के माइंडसेट में बदलाव दिखने लगा था। ऐसा ही प्रदर्शन एक बार फिर साल 2003 के वर्ल्डकप में दिखा। भारत फाइनल तक पहुंचने के बाद भी रिकी पोंटिंग की जबरदस्त शतकीय पारी की बदौलत बने एक बड़े स्कोर का पीछा नहीं कर सकी। यह मैच भारत 125 रनों से हार गया पर तब तक भारत में ऑस्ट्रेलिया को एक बड़े टूर्नामेंट में टक्कर देने का माइंडसेट बन चुका था।

इस माइंडसेट का ही नतीजा था कि साल 2011 में अहमदाबाद में खेले गए वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल में भारत ने रिकी पोंटिंग की अगुआई वाली ऑस्ट्रेलियन टीम को 5 विकेट से हराया। इस मैच में युवराज सिंह ने जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया था। साल 2015 में एक बार फिर भारत ऑस्ट्रेलिया से हार गया पर तब तक भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत की टीम वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के लिए एक मजबूत दावेदार है। क्रिकेट के सभी एक्सपर्ट्स के अनुसार 2023 में होने वाले वर्ल्ड कप में भारतीय टीम और ऑस्ट्रेलिया पर निगाहें होंगी। पर इंग्लैंड और पाकिस्तान को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।

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